बिना बातआपके साथ कैसी है पहेली बार बार सोचता हूँ कि जिंदगी ऐसी उलझनों , भरी,मुश्किलों भरी क्यों है ?आख़िर क्यों जी जाए ऐसी जिंदगी जहाँ आदमी ...Read More
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
on
8:50 am
Rating: 5
मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद