ग़ज़ल दर्द के ,प्यास के पर क़तर जायेंगे , मुद्दतों बाद हम अपने घर जायेंगे , रौशनी बंद गलियों में फिरती रही , यह अंधेरे दियों को निगल जायेंगे ,...Read More
ग़ज़ल
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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11:00 pm
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गीत अर्चना के पुष्प का यह थाल, ज्यों दीप्त दीपित , श्रेष्ठ ,उन्नत भाल , हर सुबह के साथ नया प्रकाश , नावों ने फहरा दिए फ़िर पाल,// अर्चना .......Read More
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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8:23 am
Rating: 5
प्यास हूँ मै जिंदगी की प्यास हूँ , धूप का जलता हुआ अहसास हूँ , चाहता था मै गगन चूमूं कभी , पुष्प की इक पांख सा झूमूं अभी , पर चुभन से गीत मे...Read More
गीत
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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8:24 am
Rating: 5
मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद