tag:blogger.com,1999:blog-890734994367112091.post1025641133107777250..comments2023-05-31T17:03:00.841+05:30Comments on जीवन सन्दर्भ: जिंदगीडॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंहhttp://www.blogger.com/profile/07345306084462566690noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-890734994367112091.post-51479865116167487812009-10-06T12:55:10.631+05:302009-10-06T12:55:10.631+05:30जिंदगी सागर पर नदी सी रही है ...अलग सी प्रस्तुति ....जिंदगी सागर पर नदी सी रही है ...अलग सी प्रस्तुति ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-890734994367112091.post-44308770200799762922009-10-06T12:03:27.474+05:302009-10-06T12:03:27.474+05:30डॉ. भूपेन्द्र सिँह जी,
आशा भरे जीवन को इंगित करती...डॉ. भूपेन्द्र सिँह जी,<br /><br />आशा भरे जीवन को इंगित करती हुई कविता कहीं यथार्थ को समझौते की तरह से लेती हुई लगी।<br /><br />बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है :-<br /><br />टूट कर जुड़ती रही है ,<br />मोड़ सी मुड़ती रही है ,<br />दर्द है पर गीत जैसी ,<br />गगन में उड़ती रही है ,<br />जिंदगी सागर रही पर नदी के जैसी रही है ॥<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.com