ग़ज़ल by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह11:07 pm टूटता है मन,मनोबल टूटता है/ कोई अपना जब अचानक रूठता है // दर्द का सागर सुनामी पालता है / अभिव्यक्ति का ज्वालामुखी जब फूटता है // दूर तक...Read More
by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह10:46 pm बात की बात में ............................................ बात की बात में कहानी लिख / उम्र को दर्द की जवानी लिख // मां ने पाला जिसे ...Read More
by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह10:31 pm ग़ज़ल टूटे मन से और बहुत भी टूटा हूँ/ औरों को क्या कहूं जो खुद ही झूठा हूँ// जग में कितने अपनों को दी पीडाएं / औरों से ठोकर खाई तो रू...Read More