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ग़ज़ल

by 10:45 pm
हवाओं  के  उलटे ही हम बोलते हैं / उडने के पहले ही पर तौलते हैं// रही जंगलों में है रहने की आदत/ मगर  मन में इसको ही घर बोलते हैं// अंधे...Read More

आप

by 4:12 pm
आप फिर याद आने लगे हैं/ जख्म फिर मुस्कुराने लगें हैं // धुप की बढ़ रही है तपिश / फूल फिर गुनगुनाने लगें हैं // उम्र ज्यों होगई आइना / अक्स ख...Read More
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