इतना मायूस न हो ए मेरे दिले नादाँ , इन अंधेरों में उजालों को गुनगुनाया कर , मुश्किलें लाख सही ,दर्द सही ,चोट सही , टूटते दिल के साथ फिर भी म...Read More
ग़ज़ल
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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11:52 am
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माटी अब अबीर हो गयी , जिन्दगी कबीर होगई , सपने सब गुलाल हो गए , उम्र के बवाल हो गए // सांसों मे महक गया चन्दन , फागुन का शत शत अभिनन्दन , अ...Read More
फागुनी गीत
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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9:41 pm
Rating: 5
मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद