होली आगई ,जाने की तयारी सी करती हुई /कोई जोश नहीं कोई उल्लास नहीं ,सभी कुछ केवल एक रूटीन सा लगता है बेमन से मनाई जा रही हो / इस बार घर भी न...Read More
होली पर
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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2:15 pm
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मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद