मैं आदमी हूँ ,मुझे आदमी ही रहने दो/ रोज के रंज ओ ग़म लाचारगी से सहने दो // दोस्त के तेग से बच पाया है कोई सीजर? मुझे अनजान सड़क पर नदी सा बह...Read More
ग़ज़ल
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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8:49 am
Rating: 5
होश में आगया हूँ इधर/ खुद की करने लगा हूँ कदर // मिल गयी इतनी ज्यादा ख़ुशी / डबदबाने लगी है नज़र// रात तकियों ही तकियों कटी / बज रहा है सुबह...Read More
एक ग़ज़ल
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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10:34 pm
Rating: 5
आज फिर नभ में खिला है एक पूरा चाँद , पर तुम्हारे बिन लगा मुझको अधूरा चाँद, बादलों के बीच करता है चहलकदमी , नापता है जिंदगी की ढेर सी दूरी , ...Read More
चाँद
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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11:49 pm
Rating: 5
लिखता हूँ मैं ,दिखता हूँ मैं , टुकड़ों -टुकड़ों बिकता हूँ मैं , फिर भी छोड़ कहाँ जाऊं सब ? इस माटी की सिकता हूँ मैं // ओढ़ भ्रमों का चोला-बा...Read More
लिखता हूँ मैं
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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11:27 pm
Rating: 5
इतना मायूस न हो ए मेरे दिले नादाँ , इन अंधेरों में उजालों को गुनगुनाया कर , मुश्किलें लाख सही ,दर्द सही ,चोट सही , टूटते दिल के साथ फिर भी म...Read More
ग़ज़ल
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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11:52 am
Rating: 5
माटी अब अबीर हो गयी , जिन्दगी कबीर होगई , सपने सब गुलाल हो गए , उम्र के बवाल हो गए // सांसों मे महक गया चन्दन , फागुन का शत शत अभिनन्दन , अ...Read More
फागुनी गीत
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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9:41 pm
Rating: 5
नन्हा मुन्ना बच्चा हूँ , सीधा सादा सच्चा हूँ , हरदम मैं मुस्काता हूँ, उल्टा सीधा गाता हूँ , रोता भी हूँ कभी कभी , हो जाता जब गुच्छा हूँ // प...Read More
बाल गीत 2
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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10:20 pm
Rating: 5
मैं हूँ छोटा बच्चा , मम्मी कहतीं गोलू , पापा गले लगा कर कहते , मेरे प्यारे भोलू, दादा कहते भालू मुझको, दादी कहती आलू , नानी कहती राजा भैया ...Read More
बाल गीत
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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2:38 pm
Rating: 5
मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद