तुम्हारे हाथों पर ........ by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह8:44 amतुम्हारे हाथों पर मेहंदी सरीखा रच गया मै , सच कहूं कल के लिए फिर बच गया मै , खोजता था रौशनी जो मिल न पाई, छू सके जो मन ,कली वो खिल न पाई...Read More
खो गया ख्यालों मे by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह8:25 amखो गया ख्यालों मे रेशमी रुमालों मे , रूप के झरोखों मे , यादों के उजालों मे // आंसुओं की घाटी मे , प्यासे दिए की बाती मे , जिस्म की हरार...Read More
मेरी बच्ची by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह9:09 amनन्ही मुन्नी प्यारी बच्ची , सीधी सादी,सुंदर सच्ची , बातें करती बड़ी बड़ी , शैतानी करती कड़ी कड़ी ,बचपन के सपनों में खोई , जैसे सुबह दूध की...Read More
गीत by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह8:02 am संघर्षों को बना लिया है जब मन के अनुरूप , फिर क्यों भला बताओ लिख दें अन्धकार को धूप? , चन्दन के वन खोजे तो सापों के दंश मिले , ...Read More
जिंदगी by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह11:41 amरुक रही है ,थम रही है , रही है पर कम रही है , रही रेगिस्तान सी है , बूँद जैसी नम रही है , ज़िन्दगी ऐसी रही वैसी रही है // रौशनी है पर ज...Read More