आज कल by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह10:57 pmआज कल मन उदास रहता है , दर्द के आस पास रहता है , मन है घायल हिरन सा बस्ती में , प्यार मरती नदी सा बहता है , धूप है तेज़ ,कम है छायाएं , अप...Read More
मन अनमना by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह10:39 pmअनमना है मन ,पता चलता नही । पीर का लोहा सहज गलता नही // आश्वासन है मशालों के यहाँ / कोई दिया देहरी पर जलता नहीं / कैसी फितरत है कि ...Read More