आप फिर याद आने लगे हैं/ जख्म फिर मुस्कुराने लगें हैं // धुप की बढ़ रही है तपिश / फूल फिर गुनगुनाने लगें हैं // उम्र ज्यों होगई आइना / अक्स ख...Read More
आप
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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4:12 pm
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मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद