गीत.............................................. एक पल है किजो बिखरता है, एक पल है कि जो सम्हलता है , एक तुम हो जो हमारे मन मे , सच मे तुम...Read More
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
on
1:39 pm
Rating: 5
मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ,स्नेह और आत्मीयता के चलते सभी को अपने साथ समेट लेने की आकांक्षा ,पूरी हो ,ना हो पर है तो ,जीवन में सब कुछ चाह कर कहाँ मिल पाता है ?बहुत मिला हार्दिक धन्यवाद