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गीत

तन थक जाता [गीत]

तन थक जाता ,मन थक जाता ,

संयम का हर प्रण थक जाता ,

लेकिन खोई खोई कोई याद

कभी न थकने पाती ,

बुझ कर जल जाती है बाती //

सांसों की सूनी गलियों में ,

मुरझाई टूटी कलियों में ,

थम थम कर इन सांसों को ,

अब तक जलती रही प्रभाती//

1 टिप्पणी:

© डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह. Blogger द्वारा संचालित.