गीत
तन थक जाता [गीत]
तन थक जाता ,मन थक जाता ,
संयम का हर प्रण थक जाता ,
लेकिन खोई खोई कोई याद
कभी न थकने पाती ,
बुझ कर जल जाती है बाती //
सांसों की सूनी गलियों में ,
मुरझाई टूटी कलियों में ,
थम थम कर इन सांसों को ,
अब तक जलती रही प्रभाती//
जीवन की रचनात्मक अभिव्यक्ति
तन थक जाता [गीत]
तन थक जाता ,मन थक जाता ,
संयम का हर प्रण थक जाता ,
लेकिन खोई खोई कोई याद
कभी न थकने पाती ,
बुझ कर जल जाती है बाती //
सांसों की सूनी गलियों में ,
मुरझाई टूटी कलियों में ,
थम थम कर इन सांसों को ,
अब तक जलती रही प्रभाती//
bahut badhiya bhai likhate rahiye.
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