आप
by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह4:12 pm
आप फिर याद आने लगे हैं/ जख्म फिर मुस्कुराने लगें हैं // धुप की बढ़ रही है तपिश / फूल फिर गुनगुनाने लगें हैं // उम्र ज्यों होगई आइना / अक्स ख...Read More
जीवन की रचनात्मक अभिव्यक्ति
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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4:12 pm
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