गीत
अभी नहीं रुका हूं मैं ,
अभी नहीं झुका हूं मैं ,
अभी तो चल रहा हूं मैं ,
दिए सा जल रहा हूं मैं //
चला बहुत पर अभी ,
जरा नहीं चुका हूं मैं //............
उजास को पुकारता ,
बचा जरा उदारता ,
अभी तो शेष रण बहुत
स्वयं किये हैं प्रण बहुत ,
अभी हजार मील हैं ,
पर नहीं थका हूं मैं //................
पनप सकेगा प्यार क्या ?
चुकेगा कुछ उधार क्या ?
ये जिंदगी का खेल है ,
अजीब रेलपेल है ,
मुस्कान बांटनी थी पर ,
पर ये कर नहीं सका हूं मैं //..............
अभी नहीं झुका हूं मैं ,
अभी तो चल रहा हूं मैं ,
दिए सा जल रहा हूं मैं //
चला बहुत पर अभी ,
जरा नहीं चुका हूं मैं //............
उजास को पुकारता ,
बचा जरा उदारता ,
अभी तो शेष रण बहुत
स्वयं किये हैं प्रण बहुत ,
अभी हजार मील हैं ,
पर नहीं थका हूं मैं //................
पनप सकेगा प्यार क्या ?
चुकेगा कुछ उधार क्या ?
ये जिंदगी का खेल है ,
अजीब रेलपेल है ,
मुस्कान बांटनी थी पर ,
पर ये कर नहीं सका हूं मैं //..............
बेहतरीन गीत!! बधाई.
जवाब देंहटाएंशब्द भाव के मेल संग रचना में है जोश।
जवाब देंहटाएंरुकते झुकते वो कहाँ बचा हो जिसमें होश।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
अच्छी मानवीय सोच ,संवेदनाओं और संघर्ष से उपजे विचारों को गीत के रूप में श्रेष्ठ प्रस्तुती के लिए धन्यवाद /आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत ......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएं-राजीव भरोल
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा आपने...पसंद आई आपकी रचना.
जवाब देंहटाएं_______________
पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'
"अभी तो शेष रण बहुत
जवाब देंहटाएंस्वयं किये हैं प्रण बहुत ,
अभी हजार मील हैं ,
पर नहीं थका हूं मै"
बहुत सुंदर गीत.