मन
मन खो गया है यह तन खो गया है ,
तुमको दिया हर वचन खो गया है //
उदासी की शामों में खोई हैं रातें ,
ज़माने की सरगोशियों की हैं बातें ,
ज़वानी का सब जोश भी खो गया है //
उलझे सितारों की उलझी कहानी ,
हँसे जा रहीं हैं ये किरणों की रानी ,
मुस्कराहट भरा हर नयन खो गया है //
उम्मीदों से कितने दिए जल सकेंगे?
मरुथल में कितने जो संग चल सकेंगे ?
तुम्हारे संग रहने का भ्रम खो गया है //
हर ख़ुशी में कहीं दुःख भी जी रहा है ,
ये मन ही है सारा ज़हर पी रहा है ,
बस ,तुम्हारे चरण पर नमन खो गया है//
Sunder Panktiyan...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।
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