ग़ज़ल
ज़िन्दगी का एक भी कद आज आदमकद नही /
उम्र की खामोशियों का मीत मेरे ग़म नही //
क्यों भला देते रहें हम अर्घ्य सूरज को सदा ?
इन अंधेरों के शहर में रौशनी कुछ कम नही //
रोज तुम पूजा किए चट्टान को बुत मानकर /
ज़ुल्म को रहमत कहे वो और होंगे हम नही //
एक बच्चे की हँसी सा रूप है तुममे प्रिये /
ओस की इक बूँद सा जो जी रहे हो कम नही //
तुम नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /
तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
उम्र की खामोशियों का मीत मेरे ग़म नही //
क्यों भला देते रहें हम अर्घ्य सूरज को सदा ?
इन अंधेरों के शहर में रौशनी कुछ कम नही //
रोज तुम पूजा किए चट्टान को बुत मानकर /
ज़ुल्म को रहमत कहे वो और होंगे हम नही //
एक बच्चे की हँसी सा रूप है तुममे प्रिये /
ओस की इक बूँद सा जो जी रहे हो कम नही //
तुम नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /
तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
अपने मनोभावों को गजल में बहुत सुन्दरता से उकेरा है।
जवाब देंहटाएंम नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /
तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
achchha likha hai .
जवाब देंहटाएंतुम नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /
जवाब देंहटाएंतो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
is baar sir bahut hi ghera likh diya bahut accha laga padkar........
aap mujh se meri email id par contact kar sakte hain........
akshayahoney3471@gmail.com
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !!
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन
behad sunder bhav....kyun hamare peed se aankhe tumhari nam nahi...badhai..
जवाब देंहटाएंbehad sunder bhav....kyun hamare peed se aankhe tumhari nam nahi...badhai..
जवाब देंहटाएंमैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
जवाब देंहटाएं๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
बहुत सुंदर ग़ज़ल ! गहन भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ! अन्तिम शेर में ' तो ' शब्द मीटर (वज़न)के लिहाज़ से अतिरिक्त लगता है !
जवाब देंहटाएंye mera tesra comm. hai.......
जवाब देंहटाएंkyun? kyunki wo dono comm. nahi the wo sandesh tha desh ke ek nagrik ke liye aur mei aapko janta huin us nate.....apna manta bhi huin .....
aur koi rasta bhi to nahi hai....
yahan par majburi aa jati hai kyunki ye desh ka sawal hai....
एक दर्पण,दो पहलू और ना जाने कितने नजरिये /एक सिपाही और एक अमर शहीद का दर्पण और एक आवाज
अक्षय,अमर,अमिट है मेरा अस्तित्व वो शहीद मैं हूं
मेरा जीवित कोई अस्तित्व नही पर तेरा जीवन मैं हूं
पर तेरा जीवन मैं हूं
अक्षय-मन
तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
जवाब देंहटाएंBahut achchhi gajal
Regards
Namaste.
जवाब देंहटाएंBhoopendra singh ji.
Thank you so much for your comment .
I appreciate.
Working and blogging together is not at all an easy job.
you express your heart out.
wishes.
god bless.
Gajendra Singh Bhati
एक बच्चे की हँसी सा रूप है तुममे प्रिये /
जवाब देंहटाएंओस की इक बूँद सा जो जी रहे हो कम नही
वाह भूपेंद्र जी वाह....क्या कमाल की ग़ज़ल कही है आपने. आज आपके ब्लॉग पर आना हुआ और दिल खुशी से भर गया...बेहद खूबसूरती से लिखते हैं आप..बहुत बहुत बधाई
नीरज
ज़िन्दगी का एक भी कद आज आदमकद नही /
जवाब देंहटाएंउम्र की खामोशियों का मीत मेरे ग़म नही //
bahut achha .....