Header Ads

Blog Mandli
indiae.in
we are in
linkwithin.com www.hamarivani.com रफ़्तार चिट्ठाजगत
Breaking News
recent

मनुआ के दिल की



कई दिनों से मन में एक विचार बार बार आ रहा है कि हम वास्तव में कितने सुविधा भोगी हो गए हैं/अब हम किताबें पढने का सुख (यदि आज के लोग ऐसा मान सकें)भी नहीं उठाना चाहते,कौन खरीदें पुस्तकें,फिर पढ़े,इतना वक़्त ही कहाँ है आज/अपनी जगह से उठ कर टी.वी.चलाना ,चैनल बदलना भी भारी होने लगा है रिमोट ख़राब हो जाये तो बच्चों पर गरजने लगते हैं हम सब क्यांकि कमजोर कड़ी वही बेचारे होते हैं/ये और बात है की काम से काम मेरे घर में तो रिमोट एक घरेलू हथियार की तरह काम आता है /मेरे बेटे और बेटी में पहले तो उस पर कब्ज़े के लिए उदध होता ही रहता है फिर उसी से हमले भी किये जाते हैं/अब बताइये रिमोट टूटे नहीं तो क्या हो?
मैं थोडा भटक या बहक जाता  हूं पर वो दिन याद आते है जब एकजन  टी.वी.के पास खड़ा हो कर जो गिने चुने चैनल आते थे उन्हें सेट करता रहता था /आज हर बार रिमोट
से चैनल   बदलने पड़ते है कई बार टूट फूट नुकसान  या ख़राब होने पर बार  बार शपथ लेने के बाद भी खुद बाज़ार से नया खरीदना पड़ता है क्यों कि  गरज अपनी भी होती है/ऐसे नल आगये है जिनके नीचे 

हाथ करो तो पानी चलता है ,हाथ हटाते ही बैंड अपने आप,मतलब सेंसर उक्त नलों में टोंटी खोलने का
कष्ट भी नहीं उठाना पड़ता /और तो और ऐसे टॉयलेट विकसित हो चुके है और अपने इंडिया मे भी सस्ते दामों बिकने भी लगे है हैं जिनमे आपको जाने के अलावा खुद कुछ भी नहीं करना पड़ता /आदमी ने तरक्की तो बहुत की है पर वह पहले की तुलना में जाहिल और काहिल भी बहुत हो गया है (समझदार पाठक क्षमा करेंगे)

 महा पुरुषों के नाम पर रखे गएरास्तों के पूरे नाम भी कोई नहीं लेता ,ले भी कैसे जब वास्तविक नाम ही भुला दिए गए है/
आर,एन.टी मार्गपूछे कोई भी बता देगा  ,रवींद्र नाथ टैगोर  मार्ग कोई माई का लाल शायद ही बता पाए /एम्.जी मार्ग भी जाना पहचाना है पर महात्मा गाँधी मार्ग तो कम ही जानते होंगे/भाषा विज्ञानं कहता है कि  आदमी मे सरलता से काम चलने की पुरानी प्रवृत्ति है/इस बात को वे मुख सुख कहते हैं.मतलब मुंह को कष्ट से बचने के लिए जितनी में काम चल जाए उतना बोलना कहना ,यानी शार्ट  कर देना .
इस प्रवृत्ति को खंगाल ने मे कई मनोरंजक  शब्द सामने आगये जो शायद ही किसी किताब मे मिलें.सच पूछिए तो ये जिंदगी की किताब के लफ्ज़ हैं ,जन जीवन मे घुले मिले .
एक मित्र ने बताया के.टी.एम्.पी. यानि खींचतान के मैट्रिक  पास.
इसी क्रम मे जी.जी.एच .एस.पी.   बताइए क्या है?किसी डॉक्टर की डिग्री सा लगता है न?तो सुनिए यह है घींच घांच के हायर हायर सेकण्डरी पास.
अब  आगे बढते हैं यूं.पी.बी.पी. का मतलब बताइए ?उलट पुलट के बी.ए. पास ,देखिये हर कक्षा के मेहनती छात्रों के लिए अलग अलग डिग्री है या नहीं.हमारे जमाने मे भी थर्ड क्लास को फर्स्ट क्लास विथ टू  बॉडी गार्ड्स या गाँधी डिविसन कहा ही जाता था .
अब बात निकल ही गयी है तो दूर तक जायेगी ही .आदमी कीइच्छाएं  उसे कुछ भी करने पर मजबूर कर देतीं हैं.हर आदमी अपने असली कद से ज्यादा ही दिखना चाहता है ,मूर्ख भी खुद को विद्वान साबित करना चाहता है.
एक प्रोफेसर हैं जो केवल किस्मत के रथ पर चढ़ कर आज लाखों पीट रहें हैं.नक़ल कर केडिग्री  ली ,चरण छू कर पी.एच .डी  की और किस्मत और जुगाड़ से आज रंग जमा रहे हैं.
जानते कुछ नहीं ,पर सब जानने का दावा कर ते हैं .दोस्तों का एक ग्रुप उन्हें मनमानेटाईटिल  दे कर नाश्ते पानी का जुगाड़ कर लेता है .पहले उन्हें घोषित किया गया की आप फ्लाई ओवर  ऑफ़ नालेज हैं.भाई बहुत खुश कि  मेरा ज्ञान इतने ऊंचे दर्जे का मान लिया गया पर असली मतलब यहहै कि  ज्ञान आपको छूता भी नहीं , ऊपर  से ही निकल जाता है.
इस वर्ष उन्हें डायरिया ऑफ़ नालेज घोषित किया गया है और वे डायरिया का मतलब जान नहीं पाए हैं अब तक सो सर उठाये घूम रहे हैं अकड़ते हुए की देखो ज्ञान को कितना सम्मान मिलता है.बही लोग नाश्ता पानी कर चुके हैं  और वे हैं कि अपनी धुन में मस्त हैं.ऐसे ही याद आता है एम्।बी .बी .एस .का फुल फॉर्म है मियां ,बीबी ,बच्चे सहित /बात सहूलियत और आसानी की है जोआदमी  के विकास से जुडी जरूरतें हैं /
इन सभी किस्सों का कोई मतलब नहीं है ,ये तो गप्प गोष्ठी  है समय मिला आज  तो आप से बात कर ली.फिर मौका मिलेगा तो लौटेंगे .मस्ती करेंगे या कोई नयी क्लाविता लिक लाएंगे ,तब तक शब्बा खैर /
तब तक के लिए आज्ञा दीजिये.

डॉ.भूपेन्द्र सिंह

1 टिप्पणी:

  1. कल 22/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

© डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह. Blogger द्वारा संचालित.