गीत
तेरी इक निगाह के कमाल से,
मेरा मन ये सावन हो गया ,
तेरी मीठी-मीठी छुवन भली ,
कि ये दर्द पावन हो गया //
कहाँ रोशनी की मज़ाल थी,
जो वो छू सके तम के शिखर ,
तेरी जुस्तजू का असर हुआ ,
कि जो धूप सा मन हो गया //
चले हम हज़ार कदम यहाँ ,
तेरी इक हंसी लिये साथ में ,
वही याद भर को नमी भी है,
,वही मन भी दर्पण हो गया //
,वही मन भी दर्पण हो गया //
यहाँ ज़िदगी थकने लगी ,
हुआ प्यार सूखे ताल सा ,
यहाँ बाग थे ,घर ,गाँव थे ,
जिन्हे खो के मन अनमन हुआ //
मेरे पास वो रूमाल है ,
जिसमे तुम्हारी याद है ,
तेरे आंसुओं की नमी भी है ,
यही प्राप्ति का क्षण हो गया //
Achchhi lagi aap ki kavita!! keep writing!!
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