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गीत

कोई सपना है जिसे आंखों ने फ़िर पाया है ,
एक आइना है जिसमे तू नज़र आया है ,
रंग है रूप है ,कुछ धूप है जवानी की ,
याद है ,दर्द है ,कुछ प्यास हैंकहानी की ,
कितनी सांसों के उजाले में तुझे देखा है ,
मेरी तन्हाई में तू रौशनी की रेखा है ,
कितना सुख खोया है तब जा के तुझे पाया है //
किस से पूछेंगे किस से बोलेंगे ?
अपना मन किस से किस से खोलेंगे ?
मेरे आंसुओं पे कोई हंस न पड़े ,
आज हर आदमी के अपने दुःख बहुत हैं बड़े ,
तू बहुत दिनों के बाद याद आया है //
मैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ,
तेरे आँगन की हरी नीम भी गाती होगी ,
गूंजती होगी वो आवाज अजानों की कहीं ,
घंटे ,घडियालों की ,मन्दिर की प्रभाती होगी ,
शाम है ,रौशनी है ,मेरे कमरे की बड़ी छाया है //

6 टिप्‍पणियां:

  1. तू बहुत दिनों के बाद याद आया है //
    मैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ...boht sunder likhte hai aap...

    जवाब देंहटाएं
  2. मैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ,
    तेरे आँगन की हरी नीम भी गाती होगी ,
    .....मेरी तन्हाई में तू रौशनी की रेखा है ,...
    गायन में भी तू ,छाया में भी तू, तन्हाई में भी तू ....( सारी कायनात मुझे तुझमें नज़र आती है ) वाहभूपेन्द्र जी ,बहुत अच्छा !

    जवाब देंहटाएं
  3. मनभावन .

    पता चला की आपौ प्रतापगढ क अह्या . बड़ी खुशी भ .

    जवाब देंहटाएं

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