गीत
कोई सपना है जिसे आंखों ने फ़िर पाया है ,
एक आइना है जिसमे तू नज़र आया है ,
रंग है रूप है ,कुछ धूप है जवानी की ,
याद है ,दर्द है ,कुछ प्यास हैंकहानी की ,
कितनी सांसों के उजाले में तुझे देखा है ,
मेरी तन्हाई में तू रौशनी की रेखा है ,
कितना सुख खोया है तब जा के तुझे पाया है //
किस से पूछेंगे किस से बोलेंगे ?
अपना मन किस से किस से खोलेंगे ?
मेरे आंसुओं पे कोई हंस न पड़े ,
आज हर आदमी के अपने दुःख बहुत हैं बड़े ,
तू बहुत दिनों के बाद याद आया है //
मैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ,
तेरे आँगन की हरी नीम भी गाती होगी ,
गूंजती होगी वो आवाज अजानों की कहीं ,
घंटे ,घडियालों की ,मन्दिर की प्रभाती होगी ,
शाम है ,रौशनी है ,मेरे कमरे की बड़ी छाया है //
एक आइना है जिसमे तू नज़र आया है ,
रंग है रूप है ,कुछ धूप है जवानी की ,
याद है ,दर्द है ,कुछ प्यास हैंकहानी की ,
कितनी सांसों के उजाले में तुझे देखा है ,
मेरी तन्हाई में तू रौशनी की रेखा है ,
कितना सुख खोया है तब जा के तुझे पाया है //
किस से पूछेंगे किस से बोलेंगे ?
अपना मन किस से किस से खोलेंगे ?
मेरे आंसुओं पे कोई हंस न पड़े ,
आज हर आदमी के अपने दुःख बहुत हैं बड़े ,
तू बहुत दिनों के बाद याद आया है //
मैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ,
तेरे आँगन की हरी नीम भी गाती होगी ,
गूंजती होगी वो आवाज अजानों की कहीं ,
घंटे ,घडियालों की ,मन्दिर की प्रभाती होगी ,
शाम है ,रौशनी है ,मेरे कमरे की बड़ी छाया है //
behtreen.
जवाब देंहटाएंbahut khoob!
तू बहुत दिनों के बाद याद आया है //
जवाब देंहटाएंमैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ...boht sunder likhte hai aap...
KYA BAAT HAI SIR JI BAHUT ACCHE SHABDON SE YE RACHNA PIUROI HAI BAHUT HI KHUB......
जवाब देंहटाएंअक्षय-मन
मैं जानता हूँ मेरी याद तो आती होगी ,
जवाब देंहटाएंतेरे आँगन की हरी नीम भी गाती होगी ,
.....मेरी तन्हाई में तू रौशनी की रेखा है ,...
गायन में भी तू ,छाया में भी तू, तन्हाई में भी तू ....( सारी कायनात मुझे तुझमें नज़र आती है ) वाहभूपेन्द्र जी ,बहुत अच्छा !
chha gaye aap to....bahut achha likha hai sir ji
जवाब देंहटाएंमनभावन .
जवाब देंहटाएंपता चला की आपौ प्रतापगढ क अह्या . बड़ी खुशी भ .