कविता
कविता ?
कविता को पजामे की तरह
पहनना उतारना,
झाड़ू की तरह बुहारना ,
क्या ठीक है?
क्या यही कविता की सही लीक है ?
कविता में क्या नया ?
क्या पुराना?
कविता तो बस
कविता ही होसकती है
भावनाओं के बिस्तरे पर ,
आंसुओं के साथ सो सकती है
इस लिए उसे रिश्तों,कमरों
खानों में मत बांटों
उसे
अपने जवान होते बेटे की तरह
प्यार से गले लगा लो,मत डाटो
वरना
वाह उम्मीद के आकाश मे
किसी तारे की तरह टूट जाएगी
याद रहे कविता मानिनी नायिका सी है
जरा सी बेरुखी से रूठ जायेगी //
कविता को पजामे की तरह
पहनना उतारना,
झाड़ू की तरह बुहारना ,
क्या ठीक है?
क्या यही कविता की सही लीक है ?
कविता में क्या नया ?
क्या पुराना?
कविता तो बस
कविता ही होसकती है
भावनाओं के बिस्तरे पर ,
आंसुओं के साथ सो सकती है
इस लिए उसे रिश्तों,कमरों
खानों में मत बांटों
उसे
अपने जवान होते बेटे की तरह
प्यार से गले लगा लो,मत डाटो
वरना
वाह उम्मीद के आकाश मे
किसी तारे की तरह टूट जाएगी
याद रहे कविता मानिनी नायिका सी है
जरा सी बेरुखी से रूठ जायेगी //
काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंभूपेन्द्र जी , बहुत तीखी पर भावपूर्ण रचना ! कभी मैंने भी इसी भावभूमि पर लिखा था ! " कविता फैशन नहीं इसे टाई सा मत बाँधो , यह बाँधी कब जाती , इसमें बंधना पड़ता है "
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