चाँद
आज फिर नभ में खिला है एक पूरा चाँद ,
पर तुम्हारे बिन लगा मुझको अधूरा चाँद,
बादलों के बीच करता है चहलकदमी ,
नापता है जिंदगी की ढेर सी दूरी ,
उम्र जिस आइने में देखती चेहरा ,
बस उसी आइने सा लगने लगा है चाँद//
मुश्किलें हैं ढेर सी पर प्यार भी तो है ,
कोई माने या न माने,फर्क क्या पड़ना ?
रोज इक सपना नया गढ़ना नए दिन में ,
बस पड़ोसन की हंसी सा जग रहा है चाँद//
चूड़ियों की खनखनाहट के नए मानी,
शब्द कोशों में भला कैसे मिलेंगे यार?
प्यार की पहली पहेली बुझनी होगी ,
सच, इन्ही हालात से तो डर रहा है चाँद//
+गुनगुनाता सृष्टि के प्रारंभ से वह गान,
जबकि मानव ने धरा पर आंख थी खोली,
बोलता तो था पर न उसमे था कोई भी अर्थ ,
पर समझ ,सब कुछ समझता लग रहा है चाँद//
रोज गलियों से गुजरती ,इक किशोरी सा ,
आज भी खुद को परखता ,देखता तो है ,
भावना के ज्वार में बहना बहुत आसान,
इस लिए कुछ आज डगमग लग रहा है चाँद//
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंभावना के ज्वार में बहना बहुत आसान, इस लिए कुछ आज डगमग लग रहा है चाँद|
जवाब देंहटाएंkya bat hai bahut sundar , badhai
Bahut khoob.
जवाब देंहटाएं............
खुशहाली का विज्ञान!
ब्लॉगिंग का मनी सूत्र!
शानदार।
जवाब देंहटाएंउम्र जिस आइने में देखती चेहरा ,
जवाब देंहटाएंबस उसी आइने सा लगने लगा है चाँद
बहुत बढ़िया...
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंमन में उठती भावनाओं के अनुसार ही बदलता दिख रहा है चाँद , बहुत खूबसूरती से आपने उतारा है इन भावनाओं को अपनी रचना में।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंउम्र जिस आइने में देखती चेहरा ,
जवाब देंहटाएंबस उसी आइने सा लगने लगा है चाँद
खूबसूरत रचना
भावना के ज्वार में बहना बहुत आसान ,इसलिए कुछ आज डगमग लग रहा है चाँद ।
जवाब देंहटाएंचन्द्र कलाओं सा उमगता जीवन और उसकी अभिव्यक्ति बड़ी सटीक रही नही इस कविता में .
चांद पर बहुत खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंPlease see my old post of September 22, 2010 in my blog GHAZALYATRA .
डॉ.भूपेन्द्र जी,सादर निवेदन है कि रीवा मेरी जन्मस्थली है.
आप सभी बंधू/बान्धवियों का ह्रदय से आभार ,ब्लॉग पर आने,ध्यान पूर्वक रचना का मूल्यांकन कर अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से उत्साह वर्धन करने के लिए /स्नेह निरंतर बना रहेगा यह विश्वास है /
जवाब देंहटाएंसादर,
डॉ.भूपेन्द्र सिंह
रीवा /म.प्र
चांद में प्रतिबिंबित जीवन स्पंदन.
जवाब देंहटाएंचांद पर बहुत खूबसूरत कविता|
जवाब देंहटाएंChand ke bahane sundar likha hai...
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