गीत
तुम नही तो क्या ,तुम्हारी ज्योत्सना तो साथ है ,
आज काँटों का सुमन के हाथ में फ़िर हाथ है ,
रोशनी की लौ लपक कर चूमती आकाश को ,
और पतझर की उदासी ढूँढती मधुमास को ,=
जिंदगी का डूबता दिनमान अब भी जागता है
और मन फ़िर से उदासी की व्यथा से भागता है ,=
तुम जहाँ पर हो वहीँ पर मुस्करा कर बोल देना ,
टूटते से प्राण के बंधन प्रिये ,तुम खोल देना ,
चूम कर इतिहास के पन्ने जिए मै भी चलूँगा ,
तुम मिली हो तो समय के प्रश्न को फ़िर से छलूँगा, =
सामने बैठी रही हो ,तब न कुछ मै बोल पाटा
चाहकर भी सब कथा मन की ,कुछ नही मै खोल पाता ,
आंसुओं से रूप के सैलाब की गिनती बढ़ी है ,
याद की गहरी घटायें आज हिमगिरी पर चढी है //=
आज काँटों का सुमन के हाथ में फ़िर हाथ है ,
रोशनी की लौ लपक कर चूमती आकाश को ,
और पतझर की उदासी ढूँढती मधुमास को ,=
जिंदगी का डूबता दिनमान अब भी जागता है
और मन फ़िर से उदासी की व्यथा से भागता है ,=
तुम जहाँ पर हो वहीँ पर मुस्करा कर बोल देना ,
टूटते से प्राण के बंधन प्रिये ,तुम खोल देना ,
चूम कर इतिहास के पन्ने जिए मै भी चलूँगा ,
तुम मिली हो तो समय के प्रश्न को फ़िर से छलूँगा, =
सामने बैठी रही हो ,तब न कुछ मै बोल पाटा
चाहकर भी सब कथा मन की ,कुछ नही मै खोल पाता ,
आंसुओं से रूप के सैलाब की गिनती बढ़ी है ,
याद की गहरी घटायें आज हिमगिरी पर चढी है //=
आंसुओं से रूप के सैलाब की गिनती बढ़ी है ,
जवाब देंहटाएंयाद की गहरी घटायें आज हिमगिरी पर चढी है
बेहद खूबसूरत शब्द और भाव हैं आप की रचना में...बहुत अच्छा लगा पढ़ कर...बधाई.
नीरज
behad umda rachna.
जवाब देंहटाएंभावभीनी रचना
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
बहुत सुंदर रचना है.............गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
blog par aane ke liye dhanyavaad!jaree rakhen ,bahot achha hai!!
जवाब देंहटाएंतुम जहाँ पर हो वहीँ पर मुस्करा कर बोल देना ,
जवाब देंहटाएंटूटते से प्राण के बंधन प्रिये ,तुम खोल देना
भावभीनी सुंदर रचना
'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा, हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा '.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं
आज काँटों का सुमन के हाथ में फ़िर हाथ है ,
जवाब देंहटाएंSundar Abhivyakti...Badhai !!
जवाब देंहटाएं-------------------------------------------
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भूपेंद्रजी ,आज आपका पूरा ब्लॉग पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
जवाब देंहटाएंआपकी सर्वोत्तम रचना "मेरा मुन्ना" प्रतीत हुयी.
पीर का लोहा सहज गलता नहीं, रहमत को जो ज़ुल्मत कहे वो और होंगे हम नहीं , ये कुछ शेर लाजवाब रहे .
मन रीता एवं थक गया मन यह दोनों गीत बहुत सुंदर बन पड़े हैं.
दर्द के पर क़तर जायेंगे ग़ज़ल स्वतः ही घर से आपका अपरिमित लगाव एवं साथ ही एक बड़ी दूरी का वर्णन करती है . आशा है कि अब आप अपने परिवार में होंगे एवं फ़िर कभी जीवन में आपको अपने मुन्ने को याद कर "मेरा मुन्ना " जैसी रचना रचने के लिए बाध्य न होना padega.
और २५ जनवरी को लिखा गया गीत भी अच्छा बन पड़ा है .
Aapki rachnayen to kal padh gayi thee..Neeraj ji ne jo likha, uske aage aur likhneki meree qabiliyat hee nahi...
जवाब देंहटाएं"ye kahan aa gaye ham" ki 2 ree kadi,
"Aajtak Yahantak" is blogme hai...padhenge to khushee hogi...jaanti hun, aap kaafee wyast rehte hain...lekin aap jaise anubhavi likhnewalonse mujhe hamesha rehnumaayi milti hai, seekhna milta hai...