तुम्हारे लिए
एकसमय था जब मै तुमको फूलों की रानी कहता था ,
एक समय था जब मैं सागर हो कर नदिया सा बहता था ,
एक समय था जब यह जीवन खुशियों का इक गुलदस्ता था ,
जैसा भी था बहुत भला था ,जो भी महंगा या सस्ता था
एक समय था रोज कहानी नयी नयी बनती थी मन मे ,
लेकिन लिखना बड़ा कठिन था ,चेहरा जो देखा दर्पण में ,
एक समय था दुखों की गलियां एकदम सूनी सूनी थीं ,
तकलीफें आधी लगतीं थीं ,खुशियाँ सब दूनी दूनी थीं ,
एकसमय था जब जीवन में कुछ भी नहीं असंभव लगता ,
रोज सुबह एक सुंदर सपना हरदम था इस मन में जगता ,
एक समय था जब हर चेहरा पानीदार लगा करता था ,
यारों के दुःख सुख पर भी अपना अधिकार लगा करता था ,
पर ऐसा कुछ बदल गया बीते सालों के तूफानों मे ,
अपनों की बस्ती से चल कर आया मन इन वीरानों मे ,
संघर्षों की यादें सारी अब बची रही बीती बातें हैं ,
भोर तिरोहित हुआ समर में ,शेष यहाँ केवल रातें हैं
किले ढह गए संकल्पों के ,सभी मूल्य अब शेष हो गए ,
जो कल तक पथ के कांटे थे ,रातों रात विशेष हो गए ,
एक समय था जब हमने भी विश्वासों के गीत लिखे थे ,
एक समय था जब आलोचक भी हमको मनमीत दिखे थे ,
एक समय अब है जब सारी मर्यादाएं टूट चुकी हैं ,
कृष्ण मौन होगये ,गोपिका स्वयं द्वारिका लूट चुकी हैं ,
एक समय है और एक मैं ,कोने मे बैठा जगता हूं ,
खुद को जान नहीं पाता हूं ,अपनी पर छायीं लगता हूं //
भोर तिरोहित हुआ समर में ,शेष यहाँ केवल रातें हैं
किले ढह गए संकल्पों के ,सभी मूल्य अब शेष हो गए ,
जो कल तक पथ के कांटे थे ,रातों रात विशेष हो गए ,
एक समय था जब हमने भी विश्वासों के गीत लिखे थे ,
एक समय था जब आलोचक भी हमको मनमीत दिखे थे ,
एक समय अब है जब सारी मर्यादाएं टूट चुकी हैं ,
कृष्ण मौन होगये ,गोपिका स्वयं द्वारिका लूट चुकी हैं ,
एक समय है और एक मैं ,कोने मे बैठा जगता हूं ,
खुद को जान नहीं पाता हूं ,अपनी पर छायीं लगता हूं //
बहुत कुछ, बल्कि सब कुछ कह दिया आपने............
जवाब देंहटाएंआपकी रचना का अक्षर अक्षर बोलता है
तन-बदन और ज़ेहन में कुछ घोलता है
--------सुन्दर पोस्ट !
पर ऐसा कुछ बदल गया बीते सालों के तूफानों मे ,
जवाब देंहटाएंअपनों की बस्ती से चल कर आया मन इन वीरानों मे ,
संघर्षों की यादें सारी अब बची रही बीती बातें हैं ,
भोर तिरोहित हुआ समर में ,शेष यहाँ केवल रातें हैं
..............
sundar rachna !!!
अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंआशीष
बहुत खूब भूपेन्द्र जी,जीवन के बदलते हुए पहलुओं का बखूबी चित्रण किया है
जवाब देंहटाएंजीवन के तमाम उतार चढ़ावों को आपने बखूबी शब्दों में ढाला है ...
जवाब देंहटाएंतूफानों ,वीरानों की ,संघर्षों की दास्तां है आपकी नज़्म ....!!
क्या बात है सर...कमाल लिखते हैं आप....
जवाब देंहटाएंबधाई
चन्दर मेहेर
इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई...बहुत खूब लिखा है आपने..
जवाब देंहटाएंनीरज