ग़ज़ल
by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह10:45 pm
हवाओं के उलटे ही हम बोलते हैं / उडने के पहले ही पर तौलते हैं// रही जंगलों में है रहने की आदत/ मगर मन में इसको ही घर बोलते हैं// अंधे...Read More
जीवन की रचनात्मक अभिव्यक्ति
Reviewed by डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह
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4:12 pm
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