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गज़ल

ग़ज़ल
दर्द है, प्यास है,धुआँ है /
जिंदगी मौत का कुआँ है //
जैसे गुज़री गुज़ार डी हमने /
कल को रोना तो इक जुआ है //
रोशनी श्राप जैसी जीती है /
तमको मिलती यहाँ दुआ है / /
लहू मे डूब रहा है सबकुछ /
आप कहते हैं क्या हुआ है //
उमरा के जंगल मे ज़िदगी जिसमे /
सच मिर्ची कुतरता हुआ सुआ है //

3 टिप्‍पणियां:

  1. मान्यवर आपने बहुत ही अच्छी कहाँ की गजल कही है

    मगर इतनी अच्छी गजल पढने में लय की कमी खल रही है क्योकी गजल बहर में नहीं है
    गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
    www.subeerin.blogspot.com
    आपका वीनस केसरी

    जवाब देंहटाएं
  2. दर्द है, प्यास है,धुआँ है /
    जिंदगी मौत का कुआँ है //
    " सुंदर प्रस्तुती....जिन्दगी सच मे यही तो है..."

    Regards

    जवाब देंहटाएं

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