ग़ज़ल
सभी अलग-अलग उदास हैं /
यहाँ कौन ग़म शनाश हैं ?//
जहाँ बेहयाई की शर्त हो /
वहां शर्म ही बेलिबास है //
कोई चोट बीती है टीसती /
अब प्यार भी इक प्यास है //
जब शाम उतरी धुआं धुआं /
वहां पीली-पीली उजास है //
क्यों मै ज़िन्दगी की दुआ करूं ?/
जो गिनी -गिनी सी ये साँस है //
यहाँ कौन ग़म शनाश हैं ?//
जहाँ बेहयाई की शर्त हो /
वहां शर्म ही बेलिबास है //
कोई चोट बीती है टीसती /
अब प्यार भी इक प्यास है //
जब शाम उतरी धुआं धुआं /
वहां पीली-पीली उजास है //
क्यों मै ज़िन्दगी की दुआ करूं ?/
जो गिनी -गिनी सी ये साँस है //
बहुत खूब कहा!
जवाब देंहटाएंजहाँ बेहयाई की शर्त हो /
जवाब देंहटाएंवहां शर्म ही बेलिबास है
वाह भूपेन्द्र जी वाह...कितनी सच्ची बात कितनी सादगी से कह गए हैं आप...अद्भुत....बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई स्वीकार करें...देरी से ही सही.
नीरज