होली पर
होली आगई ,जाने की तयारी सी करती हुई /कोई जोश नहीं कोई उल्लास नहीं ,सभी कुछ केवल एक रूटीन सा लगता है बेमन से मनाई जा रही हो /
इस बार घर भी नहीं जा पाया बच्चों के इम्तेहान ,ड्यूटी और स्वास्थ्य के चलते /पूरे सेवाकाल मे पहला मौका है जब ऐसा हो पाया /
बाबा जी भी चले गए ,केवल मम्मी पापा हैं , तीन चार बार उम्मीद से फ़ोन करते रहे कि शायद जुगाड़ बन जाये पर नहीं ही हो पाया /पब्लिक ट्रांसपोर्ट मे तो अब संभव नहीं लगता आना जाना ,रीवा से इलाहाबाद की दूरी केवल १२५ किलो .मीटर होने के बाद भी ये गाड़ियाँ ५-६ घंटे लगा देतीं हैं उस पर से भीड़ भाड़ और फिर लगभग दो घंटे प्रतापगढ़ के सो कुल ७-८ घंटे सीधे बैठे बैठे पहले से दर्द देती जाम कमर और दर्द देने लगती है /
इन्ही सब कठिनाइयों और फिर दूसरे दिन ही भागने की चिंता जब की उस दिन गाड़ियाँ वगैरह ठीक से नहीं मिलती इस बार होली रीवा मे ही हो गयी /
केवल चार पांच परिचित अपरिचित चेहरे ,कुछ बच्चे छोटे बड़े ,इन्ही के बीच होली मन गयी /
याद आता है अपना बचपन का उल्लास ,खुशियाँ के दिन ,पहले से पिचकारियों रंगों,गुलाल,गुब्बारों का जुगाड़ ,तैयारी मानो होली नहीं युद्ध होने वाला हो /
होली मे पुरानी बेंच ,स्टूल ,कुर्सियां ,बड़े बड़े कुंडे ,चंदे से खरीद कर लाये जाते ,लाया जाता प्रसाद ,सभी बड़े बूढ़े छोटे सभी गले मिलते ,पैर छूते ,आशीष पाते /
और ये कहानी सदियों पुरानी नहीं मेरे अपने बचपन की है /इसी समय की है इसी दुनिया की है /
आज होटल मे काम करते बच्चो को देखा नन्हे नन्हे उदास चेहरे ,रिक्शा चलते ,मजदूरी करते ,गुब्बारे बेंचते बच्चों ,लोगों को देखा इन के लिए क्या है होली ?होली तो उनके लिए है जिनके पास रंग के पैसे हों, मिठाई के पैसे हों ,खाने खिलने पीने पिलाने के पैसे हों तब है होली /
पिछले दिन गुजर रहा था सड़क पर से तो देखा मेले में तमाम दूकाने सूनी हैं ,गाने बजा रहा है लाउडस्पीकर ,रौशनी फैली हुई है चारो ओर पर मन मे अँधेरा है /भविष्य और रोटी की फिक्र मे खो गया है आदमी के मन का सुख ,शांति और उल्लास सभी कुछ /
ऐसे मे मै अपने घर नहीं जा पाया तो क्या ?
सीमा पर लाखों सैनिक ,देश मे लाखों सुरक्षा कर्मी ,अन्य लोग चौकस हैं दिन रात कि हम सो सकें ,आ -जा सकें सुकून और शांति से,जी सकें आनंद से /
जिंदगी इतनी सरल नहीं जितनी दीखती है और ये वक़्त जो है वो इम्तेहान लेता है ,कभी कड़े कभी आसान /
रंग का समय बीत गया ,नहा धो लिया है ,साफ़ कर लिया चेहरा जितना हो सका ज्यादा से ज्यादा /
चालाकियां पहले से कर लेता हूँ ,दो दिन पहले से दाढ़ी बनानी बंद कर देता हूँ ,आज सबेरे सबेरे वैसलीन की मोटी परत चढ़ाता हूँ ताकि रंग असर न करे पूरा इन्ही की वजह से सुरक्षित रहता हूँ /
बेटे और बेटी को भी बता दीं है ये ट्रिक्स ,मुझे भी मेरे पिता जी ने बताईं थीं सो होली मे भले ही कमतर हो पर ज्ञान तो है ही जो परंपरा से अपनी अगली पीढ़ी को दे रहा हूँ /
जीवन ऐसे ही चलता है ,आग,राख और खाक मे उत्साह ,उपलब्धियां ,खुशियाँ ढूंढता हुआ ,जल कर फिर से उठने के लिए /
यही सबक है होली का
कि जीवन मे कुछ भी अपना नहीं है ,जो भी मिले जी लो पूरी उम्मीदों से ,रंगों ,मे डूब कर ,जिंदगी ,प्यार मोहब्बत और भाईचारे के साथ /
आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाये होली के हजारों रंगों के साथ ,
हैप्पी होली
इस बार घर भी नहीं जा पाया बच्चों के इम्तेहान ,ड्यूटी और स्वास्थ्य के चलते /पूरे सेवाकाल मे पहला मौका है जब ऐसा हो पाया /
बाबा जी भी चले गए ,केवल मम्मी पापा हैं , तीन चार बार उम्मीद से फ़ोन करते रहे कि शायद जुगाड़ बन जाये पर नहीं ही हो पाया /पब्लिक ट्रांसपोर्ट मे तो अब संभव नहीं लगता आना जाना ,रीवा से इलाहाबाद की दूरी केवल १२५ किलो .मीटर होने के बाद भी ये गाड़ियाँ ५-६ घंटे लगा देतीं हैं उस पर से भीड़ भाड़ और फिर लगभग दो घंटे प्रतापगढ़ के सो कुल ७-८ घंटे सीधे बैठे बैठे पहले से दर्द देती जाम कमर और दर्द देने लगती है /
इन्ही सब कठिनाइयों और फिर दूसरे दिन ही भागने की चिंता जब की उस दिन गाड़ियाँ वगैरह ठीक से नहीं मिलती इस बार होली रीवा मे ही हो गयी /
केवल चार पांच परिचित अपरिचित चेहरे ,कुछ बच्चे छोटे बड़े ,इन्ही के बीच होली मन गयी /
याद आता है अपना बचपन का उल्लास ,खुशियाँ के दिन ,पहले से पिचकारियों रंगों,गुलाल,गुब्बारों का जुगाड़ ,तैयारी मानो होली नहीं युद्ध होने वाला हो /
होली मे पुरानी बेंच ,स्टूल ,कुर्सियां ,बड़े बड़े कुंडे ,चंदे से खरीद कर लाये जाते ,लाया जाता प्रसाद ,सभी बड़े बूढ़े छोटे सभी गले मिलते ,पैर छूते ,आशीष पाते /
और ये कहानी सदियों पुरानी नहीं मेरे अपने बचपन की है /इसी समय की है इसी दुनिया की है /
आज होटल मे काम करते बच्चो को देखा नन्हे नन्हे उदास चेहरे ,रिक्शा चलते ,मजदूरी करते ,गुब्बारे बेंचते बच्चों ,लोगों को देखा इन के लिए क्या है होली ?होली तो उनके लिए है जिनके पास रंग के पैसे हों, मिठाई के पैसे हों ,खाने खिलने पीने पिलाने के पैसे हों तब है होली /
पिछले दिन गुजर रहा था सड़क पर से तो देखा मेले में तमाम दूकाने सूनी हैं ,गाने बजा रहा है लाउडस्पीकर ,रौशनी फैली हुई है चारो ओर पर मन मे अँधेरा है /भविष्य और रोटी की फिक्र मे खो गया है आदमी के मन का सुख ,शांति और उल्लास सभी कुछ /
ऐसे मे मै अपने घर नहीं जा पाया तो क्या ?
सीमा पर लाखों सैनिक ,देश मे लाखों सुरक्षा कर्मी ,अन्य लोग चौकस हैं दिन रात कि हम सो सकें ,आ -जा सकें सुकून और शांति से,जी सकें आनंद से /
जिंदगी इतनी सरल नहीं जितनी दीखती है और ये वक़्त जो है वो इम्तेहान लेता है ,कभी कड़े कभी आसान /
रंग का समय बीत गया ,नहा धो लिया है ,साफ़ कर लिया चेहरा जितना हो सका ज्यादा से ज्यादा /
चालाकियां पहले से कर लेता हूँ ,दो दिन पहले से दाढ़ी बनानी बंद कर देता हूँ ,आज सबेरे सबेरे वैसलीन की मोटी परत चढ़ाता हूँ ताकि रंग असर न करे पूरा इन्ही की वजह से सुरक्षित रहता हूँ /
बेटे और बेटी को भी बता दीं है ये ट्रिक्स ,मुझे भी मेरे पिता जी ने बताईं थीं सो होली मे भले ही कमतर हो पर ज्ञान तो है ही जो परंपरा से अपनी अगली पीढ़ी को दे रहा हूँ /
जीवन ऐसे ही चलता है ,आग,राख और खाक मे उत्साह ,उपलब्धियां ,खुशियाँ ढूंढता हुआ ,जल कर फिर से उठने के लिए /
यही सबक है होली का
कि जीवन मे कुछ भी अपना नहीं है ,जो भी मिले जी लो पूरी उम्मीदों से ,रंगों ,मे डूब कर ,जिंदगी ,प्यार मोहब्बत और भाईचारे के साथ /
आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाये होली के हजारों रंगों के साथ ,
हैप्पी होली
नमस्कार ....सर जी .....आपका सन्देश पढ़ कर बहुत अच्छा लगा , आप भी अपने शहर के निवासी है ये जानकार अति प्रसन्नता हुई ....बस हम भी एक प्रयास में जुटे है .....देखते है सफलता कब हाँथ लगती है ......मेरा मो. नo 09871550072........बहुत बहुत आभार .
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