खुशबू के शिलालेख
तुम खुशबू के शिलालेख हो ,
मै हूं सागर की गहराई,
तुम हो दिव्य कामना मन की
मैं हूं तेरी ही परछाईं //
तेरे दुःख के सारे किस्से ,
लगते हैं क्यों अपने हिस्से ?
ये सब बातें अंतर्मन की,
बोलो कहें यहाँ किस किस से ?//
जितना सोचा उतना डूबे ,
लगते हैं अब जग से ऊबे ,
माँगा बहुत, न पाया कुछ भी ,
प्रीत रीति के खेल अजूबे //
धरती भारी,जग व्यापारी ,
जीते जाना है लाचारी ,
सबसे जो जीती थी रण में ,
वही शख्शियत घर में हारी,//
यशी कथा हरदम चलती है ,
मुस्का कर खुद को छलती है,
इस अंधियारे कालखंड में ,
दीये सा हरदम जलती है //
,
मै हूं सागर की गहराई,
तुम हो दिव्य कामना मन की
मैं हूं तेरी ही परछाईं //
तेरे दुःख के सारे किस्से ,
लगते हैं क्यों अपने हिस्से ?
ये सब बातें अंतर्मन की,
बोलो कहें यहाँ किस किस से ?//
जितना सोचा उतना डूबे ,
लगते हैं अब जग से ऊबे ,
माँगा बहुत, न पाया कुछ भी ,
प्रीत रीति के खेल अजूबे //
धरती भारी,जग व्यापारी ,
जीते जाना है लाचारी ,
सबसे जो जीती थी रण में ,
वही शख्शियत घर में हारी,//
यशी कथा हरदम चलती है ,
मुस्का कर खुद को छलती है,
इस अंधियारे कालखंड में ,
दीये सा हरदम जलती है //
,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंधरती भारी,जग व्यापारी ,
जवाब देंहटाएंजीते जाना है लाचारी ,
Wonderful creation !
मंगलवार 13 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/
तेरे दुःख के सारे किस्से ,
जवाब देंहटाएंलगते हैं क्यों अपने हिस्से ?
ये सब बातें अंतर्मन की,
बोलो कहें यहाँ किस किस से ?//
wah ji wah kya marmik bhaav ko shabd diye hai ...exceelent creation
sundar saral saargarbhit
तेरे दुःख के सारे किस्से ,
जवाब देंहटाएंलगते हैं क्यों अपने हिस्से ?
ये सब बातें अंतर्मन की,
बोलो कहें यहाँ किस किस से ?//
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति और क्या खूबसूरत शब्द सयोंजन है
बेहद प्रभावशाली और सार्थक, इकदम हक़ीक़ी को उतारा है जोया. सर, और क्या कहूं! पढ़कर मजा आ गया. बस और लिखिए कि फिर पढ़ें कोई जुबां अपनी सी.
जवाब देंहटाएंआभार.