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शहनाई के सुर............


शहनाई के मीठे सुर से कुछ पल को यूं बात हुई ,
जैसे तेरा दामन पकड़ा ,तुम से इक मुलाकात हुई,
खोया खोया चाँद किसी की यादों मे यूं डूबा है ,
होश नही है कब दिन डूबा और कब फिर से रात हुई ,
तेरी मेरी हस्ती मिल कर जब से एक हुई जानब,
हर मौसम खुशियों का मौसम,मुस्कानें सौगात हुईं ,
हर दिन लम्हे जैसा झट से कब फिसला यह पता नही ,
मेरे आँगन के फूलों पर यादों की बरसात हुई ,
तुम को पास बिठा कर भर लूं आँखों मे ,महसूस करूँ ,
तुम बिन ना जी पाने की ही कमज़ोरी जज़्बात हुई ,
सबके लब पर अपने क़िस्से,आख़िर ऐसा क्या है जो?
बाज़ बहादुर ,रूपमती की जैसी अपनी जात हुई ,//

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उम्दा और लाजबाब!! बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. तुम को पास बिठा कर भर लूं आँखों मे ,महसूस करूँ ,
    तुम बिन ना जी पाने की ही कमज़ोरी जज़्बात हुई ,hmesha ki tarah dil ko chhone wali rachna.....

    जवाब देंहटाएं
  3. Marvellous. I cant imagine thsi poetry is written by teh same person whom I find quite often in Shilpi Plaza.... Beautiful...
    Chandar Meher
    lifemazedar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. हर दिन लम्हे जैसा झट से कब फिसला यह पता नही ,
    मेरे आँगन के फूलों पर यादों की बरसात हुई ,

    सबके लब पर अपने क़िस्से,आख़िर ऐसा क्या है जो?
    बाज़ बहादुर ,रूपमती की जैसी अपनी जात हुई ,//

    भूपेंद्र जी क्या बात है...भाई वाह...निहायत ही खूबसूरत लहजा है आपका...बहुत पसंद आया....लिखते रहें...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  5. शहनाई के मीठे सुर से कुछ पल को यूं बात हुई ,
    जैसे तेरा दामन पकड़ा ,तुम से इक मुलाकात हुई

    waah....!!
    खोया खोया चाँद किसी की यादों मे यूं डूबा है ,
    होश नही है कब दिन डूबा और कब फिर से रात हुई ,

    bahut khoob ....!!

    तुम को पास बिठा कर भर लूं आँखों मे ,महसूस करूँ ,
    तुम बिन ना जी पाने की ही कमज़ोरी जज़्बात हुई

    उम्दा और लाजबाब....!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये रचना ! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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