शहनाई के सुर............
शहनाई के मीठे सुर से कुछ पल को यूं बात हुई ,
जैसे तेरा दामन पकड़ा ,तुम से इक मुलाकात हुई,
खोया खोया चाँद किसी की यादों मे यूं डूबा है ,
होश नही है कब दिन डूबा और कब फिर से रात हुई ,
तेरी मेरी हस्ती मिल कर जब से एक हुई जानब,
हर मौसम खुशियों का मौसम,मुस्कानें सौगात हुईं ,
हर दिन लम्हे जैसा झट से कब फिसला यह पता नही ,
मेरे आँगन के फूलों पर यादों की बरसात हुई ,
तुम को पास बिठा कर भर लूं आँखों मे ,महसूस करूँ ,
तुम बिन ना जी पाने की ही कमज़ोरी जज़्बात हुई ,
सबके लब पर अपने क़िस्से,आख़िर ऐसा क्या है जो?
बाज़ बहादुर ,रूपमती की जैसी अपनी जात हुई ,//
बहुत उम्दा और लाजबाब!! बधाई.
जवाब देंहटाएंतुम को पास बिठा कर भर लूं आँखों मे ,महसूस करूँ ,
जवाब देंहटाएंतुम बिन ना जी पाने की ही कमज़ोरी जज़्बात हुई ,hmesha ki tarah dil ko chhone wali rachna.....
Marvellous. I cant imagine thsi poetry is written by teh same person whom I find quite often in Shilpi Plaza.... Beautiful...
जवाब देंहटाएंChandar Meher
lifemazedar.blogspot.com
हर दिन लम्हे जैसा झट से कब फिसला यह पता नही ,
जवाब देंहटाएंमेरे आँगन के फूलों पर यादों की बरसात हुई ,
सबके लब पर अपने क़िस्से,आख़िर ऐसा क्या है जो?
बाज़ बहादुर ,रूपमती की जैसी अपनी जात हुई ,//
भूपेंद्र जी क्या बात है...भाई वाह...निहायत ही खूबसूरत लहजा है आपका...बहुत पसंद आया....लिखते रहें...
नीरज
शहनाई के मीठे सुर से कुछ पल को यूं बात हुई ,
जवाब देंहटाएंजैसे तेरा दामन पकड़ा ,तुम से इक मुलाकात हुई
waah....!!
खोया खोया चाँद किसी की यादों मे यूं डूबा है ,
होश नही है कब दिन डूबा और कब फिर से रात हुई ,
bahut khoob ....!!
तुम को पास बिठा कर भर लूं आँखों मे ,महसूस करूँ ,
तुम बिन ना जी पाने की ही कमज़ोरी जज़्बात हुई
उम्दा और लाजबाब....!!
बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये रचना ! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
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