मेरी बच्ची
नन्ही मुन्नी प्यारी बच्ची ,
सीधी सादी,सुंदर सच्ची ,
बातें करती बड़ी बड़ी ,
शैतानी करती कड़ी कड़ी
,बचपन के सपनों में खोई ,
जैसे सुबह दूध की धोई ,
बातें हैं दादी जैसी ,
सबकी ऐसी या तैसी ,
रोने पर जब आ जाती ,
सबके ऊपर छा जाती ,
करती जब शैतानी वो ,
लगती सबकी नानी वो ,
फिर भी सीधी -सच्ची है ,
मेरी नन्ही बच्ची है //
apka blog khulne me bahut waqat lgata hai...pichhli kavita bahut achhi lagi ki फिर क्यों हमको कम लगती अपने हिस्से की धूप ?...
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