गीत
एक सागर की कथा है ,
जिंदगी मुझमे व्यथा है //
बह रहा हूँ धार सा मै ,
जूझता मंझधार सा मै ,
घूमता फिरता रहा हूँ ,
हवा में तिरता रहा हूँ ,
मन की पाती पर लिखा
जाने कहाँ ,किसका पता हूँ ?
ऊबता दिनरात हूँ मै ,
थकित झंझा वात हूँ मै ,
समर में विद्रोह को उठता
अकेला हाथ हूँ मैं ,
जो सदा संघर्ष मे है ,
शास्त्र क्यों फिर सौंपता है ?
सुन्दर गीत!
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