गीत
छोटी सी इक किरण से आकाश ने कहा,
तुम खिल कर बिखरती हो पर मै थमा रहा ,
ओंठो पर मुस्कुराहटें कितनी ही आ गयीं ,
पहले किरण हंसी फिर थोडा लजा गयी ,
आपमे विस्तार है ,गहरे है ,धमक है ,
पर क्या प्यार से जुडने की आँखों मे चमक है ?
युग युग से तो थमे हो पर कुछ भार नहीं तुम मे ,
अपनाने को किसी का अधिकार नहीं तुममे ,
क्षण भर को मै जगी हूँ पर तिमिर तो है हारा,
जो स्नेह बाँट ती हो बहती वही है धारा
,क्या आना और जाना ,यह सब तो बस भरम है ,
खुद मिट के दे उजाले यह देह का धरम है ,
बस ,इस लिए खड़ी हूँ ,यूं आपसे बड़ी हूँ /
चाहो तो किरण कह लो ,वरना तो फुलझड़ी हूँ //
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बहुत सुन्दर तुलना , बहुत कुछ कह जाती हुई |
जवाब देंहटाएंज्यादा चीजें लोड करने की वजह से ब्लॉग खोलने में परेशानी हुई , देर लगी |
Marvelous Sir !!!
जवाब देंहटाएंChandar Meher
lifemazedar.blogspot.com