मौसम की गंध
" मौसम मस्ती ढूँढता, हवा ढूँढती गंध /
सर्दी में गहरा गए सांसों के सम्बन्ध //
धरती पर है छीजते,जीवन के आधार /
रातों मे भी चल रहा ,सूरज का व्यापार
सूखी-सूखी सी नदी ,खोये खोये खेत /
बिन पानी के उड़ rahi, धनखर मे भी रेत //
कितनी बातें कीजिये, कितना करें सवाल ?/
जब जनता सब जानती, तो क्यों व्यर्थ बवाल?//
आफिस मे चलती रही बस कागज़ की नाव /
जीत गयीं बैसाखियाँ ,हार गएँ हैं पाँव //
सर्दी में गहरा गए सांसों के सम्बन्ध //
धरती पर है छीजते,जीवन के आधार /
रातों मे भी चल रहा ,सूरज का व्यापार
सूखी-सूखी सी नदी ,खोये खोये खेत /
बिन पानी के उड़ rahi, धनखर मे भी रेत //
कितनी बातें कीजिये, कितना करें सवाल ?/
जब जनता सब जानती, तो क्यों व्यर्थ बवाल?//
आफिस मे चलती रही बस कागज़ की नाव /
जीत गयीं बैसाखियाँ ,हार गएँ हैं पाँव //
Atyant sundar,badhai aisi sundar rachna ke liye.
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