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ग़ज़ल

ज़िन्दगी का एक भी कद आज आदमकद नही /

उम्र की खामोशियों का मीत मेरे ग़म नही //

क्यों भला देते रहें हम अर्घ्य सूरज को सदा ?

इन अंधेरों के शहर में रौशनी कुछ कम नही //

रोज तुम पूजा किए चट्टान को बुत मानकर /

ज़ुल्म को रहमत कहे वो और होंगे हम नही //

एक बच्चे की हँसी सा रूप है तुममे प्रिये /

ओस की इक बूँद सा जो जी रहे हो कम नही //

तुम नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /

तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//

12 टिप्‍पणियां:

  1. अपने मनोभावों को गजल में बहुत सुन्दरता से उकेरा है।

    म नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /

    तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//

    जवाब देंहटाएं
  2. तुम नियम से दर्द सब ,विश्वास सा जीतीं रहीं /

    तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
    is baar sir bahut hi ghera likh diya bahut accha laga padkar........
    aap mujh se meri email id par contact kar sakte hain........
    akshayahoney3471@gmail.com

    ๑۩۞۩๑वन्दना
    शब्दों की๑۩۞۩๑
    सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !!

    मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
    आभार...अक्षय-मन

    जवाब देंहटाएं
  3. behad sunder bhav....kyun hamare peed se aankhe tumhari nam nahi...badhai..

    जवाब देंहटाएं
  4. behad sunder bhav....kyun hamare peed se aankhe tumhari nam nahi...badhai..

    जवाब देंहटाएं
  5. मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
    ๑۩۞۩๑वन्दना
    शब्दों की๑۩۞۩๑

    आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
    उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
    अक्षय-मन

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर ग़ज़ल ! गहन भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ! अन्तिम शेर में ' तो ' शब्द मीटर (वज़न)के लिहाज़ से अतिरिक्त लगता है !

    जवाब देंहटाएं
  7. तो क्यों हमारी पीर से ऑंखें तुम्हारी नम नही?//
    Bahut achchhi gajal
    Regards

    जवाब देंहटाएं
  8. Namaste.

    Bhoopendra singh ji.

    Thank you so much for your comment .

    I appreciate.

    Working and blogging together is not at all an easy job.

    you express your heart out.

    wishes.
    god bless.

    Gajendra Singh Bhati

    जवाब देंहटाएं
  9. एक बच्चे की हँसी सा रूप है तुममे प्रिये /
    ओस की इक बूँद सा जो जी रहे हो कम नही
    वाह भूपेंद्र जी वाह....क्या कमाल की ग़ज़ल कही है आपने. आज आपके ब्लॉग पर आना हुआ और दिल खुशी से भर गया...बेहद खूबसूरती से लिखते हैं आप..बहुत बहुत बधाई
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  10. ज़िन्दगी का एक भी कद आज आदमकद नही /

    उम्र की खामोशियों का मीत मेरे ग़म नही //

    bahut achha .....

    जवाब देंहटाएं

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