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खो गया ख्यालों मे

खो गया ख्यालों मे
रेशमी रुमालों मे ,
रूप के झरोखों मे ,
यादों के उजालों मे //
आंसुओं की घाटी मे ,
प्यासे दिए की बाती मे ,
जिस्म की हरारत मे ,
दर्द के सवालों मे  //
चांदनी की बाँहों मे ,
दोस्ती की राहों मे ,
आपकी शिकायत मे ,
अपने कुछ बवालों मे //
बाँट गयी है किस्सों मे ,
जाने कितने हिस्सों मे ,
ज़िन्दगी ये यादों मे ,
प्यार के हवालों मे //खो गया ..........

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3 टिप्‍पणियां:

  1. एक ही बार मे इतनी जगह खो गये? आदमी तो एक जगह खो कर ही वहाँ से निकल नहीं पाता।
    वाह बहुत सुन्दर कविता है शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. एक ही बार मे इतनी जगह खो गये? आदमी तो एक जगह खो कर ही वहाँ से निकल नहीं पाता।
    वाह बहुत सुन्दर कविता है शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर,,,,,,,,,,,,अत्यन्त सुन्दर कविता..........
    बधाई !

    जवाब देंहटाएं

© डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह. Blogger द्वारा संचालित.